कई बार देखा जाता है कि नये घर में जाने के बाद व्यक्ति की परेशानियां बढ़ जाती हैं। इसके पीछे सही वास्तु के अनुसार घर का निर्माण नहीं होना भी जिम्मेदार हो सकता है। कई घरों में लोग किसी एक कोने में भी निर्माण करा लेते हैं। कोई कमरा या गैराज बनाकर उसका उपयोग करते हैं। वास्तु के अनुसार, इस तरह के निर्माण का घर और उसमें रहनेवाले व्यक्तियों पर विपरीत प्रभाव पढ़ता है। 
ईशान कोण पर ढक्कन का प्रभाव
प्लॉट की पूर्व और उत्तर दिशा के मिलने पर बने कोने को ईशान कोण कहते हैं। अगर इस कोण पर ढक्कन लगा दिया जाए तो इस घर में रहनेवाले लोगों का जीवन कष्टों से भर सकता है। उन्हें कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं। वास्तु के अनुसार, यह निर्माण खासतौर पर घर के बड़े पुत्र के लिए कष्टदायी हो सकता है।
आग्नेय कोण पर निर्माण
यदि कंपाउंड वॉल के आग्नेय कोण यानी पूर्व और दक्षिण दिशा के मिलने की जगह पर निर्माण करा दिया जाता है तो इससे परिवार में अनहोनी और अकाल मृत्यु की स्थितियां निर्मित हो सकती हैं।
वायव्य कोण में ढक्कन होना
प्लॉट की कंपाउंड वॉल के वायव्य कोण यानी उत्तर और पश्चिम दिशा के कोने पर यदि निर्माण कराया जाता है तो इस घर में रहनेवाले लोगों को आर्थिक और पारिवारिक जीवन में बहुत ही अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। जब तक भाग्य घर के लोगों का साथ देता है, तब तक इन प्रभावों का अहसास नहीं होता लेकिन जैसे ही ग्रह-स्थिति बदलती है तो परिवार की हालत बहुत खराब हो जाती है।
नैऋत्य कोण में निर्माण
कंपाउंड वॉल के नैऋत्य कोण (दक्षिण और पश्चिम का कोना) को कवर करने पर यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है। जैसे, केवल कंपाउंड वॉल पर ही कमरे का निर्माण करें। इस कमरे की छत या दीवार मुख्य भवन की छत या दीवार से न मिलती हो और इन दोनों के बीच कम से कम 4 फीट की दूरी जरूर हो। अगर इस नियम का ध्यान नहीं रखा जाता और छत आपस में मिल जाती है तो इसे नैऋत्य कोण का बढ़ाव माना जाता है, जो कि घर के लिए अशुभ होता है।
नहीं बनना चाहिए ऐसा गड्ढा
यदि आप नैऋत्य कोण में कंपाउंड वॉल पर कमरा बना रहे हैं तो इसका फर्श घर के फर्श के बराबर या घर के फर्श से ऊंचा रख सकते हैं लेकिन इसका फर्श घर के फर्श से नीचा नहीं रखना चाहिए। इसका फर्श नीचा होने पर यह नैऋत्य कोण का गड्ढा बन जाता है, जो घर के लिए हानिकारक होता है।