नई दिल्ली। रेलवे ने बुजुर्गों को टिकट पर दी जाने वाली रियायत पिछले वर्षों मे बंद कर दी है। जिसके कारण देश के करोड़ों बुजुर्ग जो अपने जीवन में शारीरिक और आर्थिक रुप से कमजोर हैं। उन्हें लूटने का रेलवे कोई मौका नहीं छोड़ रही है। जिसके कारण रेलवे में यात्रा करने वाले बुजुर्ग रेलवे को यात्रा के दौरान श्राप देने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। पिछले वर्षों में स्पेशल ट्रेन के नाम से ट्रेन का किराया काफी बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही बुजुर्गों को 30 से 40 फ़ीसदी की जो रियायत किराए पर मिलती थी। वह बंद है। बुजुर्गों को अपना इलाज कराना भी अब मुश्किल हो रहा है। क्योंकि महंगे किराए के कारण वह अस्पताल भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। 
 कोरोना संक्रमण काल में बंद की गई रियायतअभी भी शुरू नहीं की गई है। कई ट्रेनों का परिचालन बंद हो जाने के बाद,स्पेशल ट्रेनों के नाम से यात्रियों से बढ़े हुए किराए वसूल किए जा रहे हैं। पिछले 2 वर्ष से बुजुर्ग रियायत पुनः शुरू करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन भाजपा की सरकार असंवेदनशील सरकार है। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने हाल ही में संसद में बयान दिया है, कि कुछ ट्रेनों में रियायत दिए जाने पर विचार किया जाएगा। जबकि इलाज के लिए बुजुर्गों को इस समय सबसे ज्यादा यात्रा करनी पड़ती है। 
 मध्य प्रदेश के करोड़ों बुजुर्ग परेशान
 हाल ही में रेलवे की सलाहकार समिति, भोपाल रेल मंडल की बैठक हुई। इसमें बुजुर्गों की ओर से रियायत शुरू करने की मांग की गई थी। भोपाल रेल मंडल में सवा लाख बुजुर्ग प्रतिदिन रेल के माध्यम से यात्रा करते हैं। देश में करोड़ों बुजुर्ग रेलवे के माध्यम से यात्रा करते हैं। उनकी खुद की कोई कमाई नहीं होने और दूसरों पर आश्रित होने के कारण, जो छूट उन्हें लंबे समय से मिलती आ रही थी। उसको बंद करके भाजपा बुजुर्गों के साथ अन्याय कर रही है। जिसके कारण वह हर यात्रा में कई बार रेलवे को कोसने के अलावा उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं होता है। बुजुर्गों के दिए गए श्राप का असर कब होगा। यह तो समय ही बताएगा।