कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई राहत नहीं मिल रही है। जून, 2022 से लेकर इस साल मार्च तक यानी 10 महीने में कच्चे तेल की कीमत 58.80 रुपये से घटकर 38.70 रुपये प्रति लीटर रह गई।

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में पेट्रोल 96.70 रुपये और डीजल 89.60 रुपये लीटर पर स्थिर रहा। वैश्विक बाजार में भी पिछले सप्ताह क्रूड 71 डॉलर बैरल के नीचे आ गया, जो इसका 15 महीने का निचला स्तर है।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों को समान रखने के बाद भी तीन प्रमुख तेल कंपनियों को अप्रैल से सितंबर, 2022 के बीच 21,201 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इसकी भरपाई के लिए सरकार ने इस दौरान इन कंपनियों को 22,000 करोड़ रुपये की पूंजी भी दी।         

तीन साल पहले 28 रुपये प्रति लीटर था मूल भाव : भारत में अप्रैल, 2020 में पेट्रोल का मूल भाव 28 रुपये लीटर और डीजल का 31.5 रुपये लीटर था। अब दोनों 57 रुपये पर पहुंच गए हैं। इस अवधि में घरेलू बाजार में कच्चा तेल 13.4 रुपये से बढ़कर 38.7 रुपये लीटर पर पहुंच गया।

कंपनियों ने बेतहाशा बढ़ाए दाम

रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर, 2020 से जून, 2021 के बीच कच्चे तेल की कीमतें 50 से 72 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर रहीं। जून, 2021 से मार्च, 2022 के बीच कीमत 73 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 98 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई। मार्च, 2022 से जून, 2022 के बीच कच्चा तेल रिकॉर्ड 119.8 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। इस दौरान, घरेलू तेल कंपनियों ने कीमतों में कई बार बेतहाशा वृद्धि की। एक समय तो देश के कई हिस्सों में पेट्रोल 120 रुपये लीटर बिक रहा था, जबकि इसकी औसत कीमत करीब 100 रुपये थी। इसके बाद कीमतों में मामूली कटौती हुई, तब से यह 96 रुपये प्रति लीटर के आसपास ही है।