भोपाल ।  भोपाल विकास योजना 2031 में जलाशयों के किनारे हरितभूमि का गायब कर दिया गया है। बल्कि इनके किनारों पर सड़क बनाने की तैयारी की जा रही है। इससे नदी और नहरों के किनारे ग्रील बेल्ट कम होगा और इनके किनारे परिवहन की वजह से पानी भी दूषित होगा। इस पानी का इस्तेमाल यदि फसलों की सिंचाई के लिए किया जाता है, तो इससे खेतों की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होगी। बता दें कि मास्टर प्लान 2005 में मुख्य नहर के दोनों किनारों पर नौ-नौ मीटर का क्षेत्र और शाखा नहरों के दोनों किनारों पर तीन-तीन मीटर को खुला रखने और उस पर ग्रीन बेल्ट विकसित करने के प्रविधान थे। लेकिन नए मसौदे में नहरों के किनारे अब 15-15 मीटर चौड़ाई की सड़के के निर्माण की बात कही है। पर्यावरणविद् मानते हैं कि नए मसौदे में ग्रीन बेल्ट का उल्लेख ही नहीं है, जो कि भविष्य के लिए खतरनाक होगा। नहरों का पानी वायु प्रदूषण समेत अन्य कारणों से दूषित होगा और खेतों में पहुंचकर भूमि की उर्वरा शक्ति को प्रभावित करेगा। इसका असर वहां पैदा होने वाले अनाज व फल-सब्जियों पर भी पड़ेगा। यही फल, सब्जियां व अनाज आम इंसानों के उपयोग में आएंगी।

हेरिटेज के संरक्षण पर नहीं दिया गया ध्यान

मास्टर प्लान 2005 में हेरिटेज के संरक्षण और उसके निकट की निजी प्रापर्टी के विषय में कोई उल्लेख नहीं था लेकिन नवीन मसौदे में हेरिटेज के संरक्षण के साथ-साथ निजी प्रापर्टी का अधिग्रहण करने संबंधी प्रविधान भी किए जा रहे हैं, जो अच्छा कदम है। लेकिन यह प्रविधान टीडीआर के तहत किया जाना है। जब तक इसमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट के प्रविधान को नहीं जोड़ा जाएगा तो न तो हेरिटेज को संरक्षित किया जा सकेगा और न ही शहर में संतुलित हरियाली को बचाया जा सकेगा।

यह भी रही कमियां

1. शहर की आबादी बढ़ रही है। विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक प्रति 10 वर्ष में शहर की आबादी पांच लाख से अधिक बढ़ जाती है। इस अनुरूप शहर के तालाबों, नदियों, वन क्षेत्रों के आसपास ग्रीन बेल्ट का क्षेत्रफल बढ़ाना चाहिए। शहर में पार्कों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। शहर वन के प्रविधान किए जाने थे लेकिन ऐसा नहीं किया। मास्टर मास्टर प्लान-2005 में इनकी संख्या जो थी वही संख्या संशोधित मसौदे में है।

2. व्यावसायिक क्षेत्रों में बढ़ती आबादी के अनुरूप पार्किंग के लिए अतिरिक्त स्थानों का प्रविधान करना था जो कि न तो वर्ष 2021 में जारी मसौदे में था और न ही वर्तमान में जारी मसौदे में किया है। यह भविष्य में गंभीर समस्या बनकर सामने आएगी, लेकिन तब तक निर्माण हो चुका होगा।

ऊंचे भवन बनाने के प्रविधान, लेकिन नुकसान भी होंगे

- मास्टर प्लान 2005 में अलग-अलग क्षेत्रों के लिए फ्लोर एरिया रेसो दिया था संशोधित मास्टर प्लान 2031 के मसौदे में प्रीमियम एफएआर और ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट टीडीआर जैसे नवीन प्रविधान किए गए हैं। जिससे अतिरिक्त एफएआर प्राप्त किया जा सकता है। यानी शहर के अंदर वर्टिकल डेवलपमेंट होंगे। एफएआर की सीमा में सबसे अधिक बढ़ोतरी एमपी नगर क्षेत्र में की है, जो 2.5 से बढ़ाकर पांच कर दी है। इसी तरह न्यू मार्केट क्षेत्र में इस सीमा में 2.5 से चार कर दिया है। यानी जितना अधिक एफएआर उतना अधिक खड़ा निर्माण होगा। व्यावसायिक क्षेत्रों में बहु मंजिला भवनों की ऊंचाई बढ़ने से स्थानीय तापमान और वायु प्रदूषण में वृद्धि होगी। यही नहीं, हवा के प्रवाह में भी कमी होगी।

इनका कहना

भोपाल में एक भी जगह हरितभूमि आरक्षित नहीं किया गया है। जो पहले से ग्रीन है, उसे फिर से ग्रीन लैंड घोषित कर दिया गया। उदाहरण के लिए एकांत पार्क तो पहले से ग्रीन लैंड है, उसे दोबारा ग्रीन लैंड कर दिया जाए तो इसका क्या औचित्य है।

-सुदेश वाघमारे, वन्य प्राणी और पर्यावरण विशेषज्ञ

कलियासोत और केरवा डैम के जंगलों के आसपास की 357.78 हेक्टेयर भूमि को वन विभाग को देने की बात की जा रही है। इसे हरित क्षेत्र घोषत किया गया है। यह तो पहले से हरित क्षेत्र है और 20 वर्ष से वन विभाग के पास है। वहां पर 0.7 और 0.8 डेंसिटी के जंगल हैं।

- सुभााष सी पांडे, पर्यावरणविद