भोपाल । मप्र देश में सबसे अधिक बिजली उत्पादकों राज्यों में से एक है। इसके बावजुद यहां के उपभोक्ताओं को सबसे अधिक बिजली मिलती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों पर 48 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है। यह कर्ज मुफ्त की बिजली यानी संबल योजना के कारण बढ़ा है। मप्र ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों की स्थिति यही है। पावर मिनिस्ट्री के आंकड़ों से पता चलता है कि 36 में से 27 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाली बिजली प्रदान कर रहे हैं, जिसमें कम से कम 1.32 लाख करोड़ रुपए देश भर में अकेले 2020-21 वित्तीय वर्ष में खर्च किए गए हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक ने 36.4 प्रतिशत या 48,248 करोड़ की सबसे ज्यादा बिजली सब्सिडी दी। तीन साल के डेटा एनालिसिस से पता चलता है कि दिल्ली ने 2018-19 और 2020-21 के बीच अपने सब्सिडी एक्सपेंडिचर में 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी। ये 2018-19 में 1,699 करोड़ रुपए थी जो बढ़कर 3,149 करोड़ रुपए हो गई। ये सभी राज्यों में दूसरी सबसे अधिक है। मणिपुर ने इन तीन वर्षों में बिजली सब्सिडी में सबसे बड़ी 124 प्रतिशत की उछाल देखी गई। 120 करोड़ रुपए से बढ़कर ये 269 करोड़ पर पहुंच गई।
मप्र की बात करें तो यहां 2018 के चुनाव के दौरान भाजपा सरकार ने संबल योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत संबल बिल माफी ने मप्र की तीनों बिजली वितरण कंपनियों का कर्ज अरबों रुपए बढ़ा दिया है। राज्य को मौजूदा वित्तीय वर्ष का ही 14,000 करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि बिजली कंपनियों को देना है। यह राशि ऊर्जा विभाग की उन तमाम विभिन्न जनहित की योजनाओं की है, जिस पर सरकार लोगों को सब्सिडी देती है। उधर बिजली कंपनियों का कर्ज भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी भरपाई के लिए कंपनियां उपभोक्ताओं पर भार डाल रही हैं। उधर हर साल मप्र में 20 से 25 हजार करोड़ से अधिक की बिजली खरीदी हो रही है। वर्ष 2021-22 में ही 27 हजार 500 करोड़ से अधिक राशि खरीदी पर इस्तेमाल हुई है। इसी तरह हर साल फिक्स चार्ज के रूप में भी मप्र 4000 करोड़ रुपए निजी क्षेत्र की कंपनियों को दे रहा है, जिनके साथ 25 वर्ष का एग्रीमेंट है। इनमें लैंको अमरकंटक, टोरेंट पॉवर गुजरात, बीना पॉवर, बीएलए पॉवर, सासन, एमबी पॉवर, जयप्रकाश निगरी टीपीएस और झाबुआ पॉवर हैं।

सरकार ने नहीं दिए 3000 करोड़
जानकारी के अनुसार सरकार ने जो संबल योजना शुरू की है उसके कारण बिजली कंपनियों पर लगातार बोझ बढ़ रहा है। सरकार द्वारा इसकी भरपाई होनी थी, लेकिन मप्र सरकार ने अब तक करीब 3000 करोड़ रुपए नहीं दिए। बिजली मामलों के जानकार व रिटायर्ड एडीशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि कर्ज बढऩे की यह बड़ी वजह थी। सरकार इसकी भरपाई करती तो उपभोक्ताओं पर भार कम होता। अग्रवाल ने बिजली कंपनियों के टैरिफ प्रस्तावों पर कहा कि वे 3 प्रतिशत प्रति यूनिट दर बढ़ाना चाहती हैं, जबकि बड़े कर्जों को छोड़ भी दिया जाए तो आज की तारीख में कंपनियां करीब 5 हजार करोड़ के फायदे में हैं। उन्हें तो 10 प्रतिशत तक राशि कम करना चाहिए। बहरहाल, कर्जों की बात है तो 2017-18 से लेकर 2021-22 तक कंपनियों पर कर्ज 11625 करोड़ बढ़ा है। कुल कर्ज अब 48 हजार करोड़ से अधिक है। यह नाबार्ड, आरईसी व अन्य वित्तीय कंपनियों का पैसा है। कर्ज की यह जानकारी सरकार ने विधानसभा को दी है।

सौगातों का भार कंपनियों पर
राज्य सरकार ऊर्जा विभाग द्वारा संचालित लोक हित की योजनाओं के जरिए लोगों को राहत देती है। पिछली कमलनाथ सरकार ने अगस्त 2019 से इंदिरा ग्रह ज्योति योजना का विस्तार करते हुए इसका लाभ सभी घरेलू उपभोक्ताओं को देना शुरू किया था। हालांकि बाद में शिवराज सरकार ने इसे सिर्फ बीपीएल तक सीमित कर दिया। इंदिरा किसान ज्योति योजना के तहत किसानों को लाभ दिया जा रहा है। इसी तरह नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। पिछले वित्तीय वर्षों का राज्य सरकार पर 3016 करोड़ की सब्सिडी बकाया है। वहीं साल 2019 में सरकार को 17506 करोड़ रुपए की सब्सिडी देनी थी। जिसमें से 13870 करोड़ की देनदारी देने के बाद 3636 करोड़ रुपए की सब्सिडी देना बाकी है।

बिजली कंपनियों का घाटा
भले ही बिजली कंपनियों पर सरकार की देनदारी हो, लेकिन इसके बाद भी बिजली कंपनियों पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार पहले ही बिजली कंपनियों का 26055 करोड़ रुपए कर ओढ़ चुकी है। इसके बाद भी बिजली कंपनियां लगातार घाटे में हैं। आंकड़ों को देखें तो मप्र में बिजली कंपनियों का घाटा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। साल 2014- 15 में 5156.88 करोड़ रुपए का घाटा, साल 2015-16 में 7156. 94 करोड़ रुपए का घाटा, साल 2016- 17 में 7247.55 करोड़ रुपए का घाटा, साल 2017-18 में 5327.54 करोड़ रुपए का घाटा, साल 2018-19 में 7053 करोड़ रुपए का घाटा बिजली कंपनियों को हुआ है।