भोपाल। मप्र में पेयजल के लिए चल रही जल जीवन मिशन, रोजगार गारंटी सहित कई विकास योजनाओं के हजारों करोड़ रुपए केंद्र सरकार में अटक गए हैं। केंद्र से अनुदान प्राप्त योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही के चलते यह राशि मप्र को नहीं मिल पा रही है। क्योंकि कई विभागों ने केंद्रीय योजनाओं की स्वीकृत राशि का उपयोग होने का प्रमाण-पत्र तय समय पर नहीं भेजा है। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री के बार-बार निर्देश के बावजूद विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र को नहीं भेजा जा रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि केंद्रीय योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।
गौरतलब है कि केंद्र और राज्य में वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बैठकों का दौर चल रहा है लेकिन केंद्रीय योजनाओं के लिए प्रस्तावित राशि का बड़ा हिस्सा अब तब मप्र को नहीं नहीं मिला है। वर्ष 2024- 25 में 37 हजार 652 करोड़ रुपये जल जीवन मिशन सहित विभिन्न योजनाओं में मिलना है, लेकिन नवंबर अंत तक 16,194 करोड़ रुपये ही मिले हैं। कई योजनाओं में तो बिल्कुल भी राशि नहीं दी गई। जल जीवन मिशन में 4,571 करोड़ रुपये मिलने थे, जिसमें से 2,400 करोड़ मिले। छात्रवृत्ति भी राशि न मिलने के कारण अटकी हुई है।

लगातार केंद्र से मांग कर रहा मप्र
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव स्वयं लगातार केंद्रीय मंत्रियों से भेंट करके योजनाओं को स्वीकृति दिलाने के साथ राशि प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। सभी मंत्रियों और अधिकारियों से भी कहा गया है कि वे भी केंद्रीय मंत्री और अधिकारियों से संपर्क में रहें। यही बात मुख्य सचिव अनुराग जैन भी वरिष्ठ अधिकारियों से कह चुके हैं। केंद्र सरकार ने प्रदेश में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2024-25 के बजट में सभी विभागों को 37,652 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। फरवरी में 2025-26 का आम बजट संसद में प्रस्तुत होगा और 31 मार्च को वित्तीय वर्ष 2024-25 समाप्त हो जाएगा। इस अवधि के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, उनकी पूर्ति के लिए आवश्यक राशि समय पर उपलब्ध न होने के कारण काम प्रभावित हो रहे हैं। जिन योजनाओं की राशि प्रदेश को नहीं मिली है, उसमें राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना भी शामिल है। इसमें 2,625 करोड़ रुपये मिलने हैं। इसके विरुद्ध 25 नवंबर तक 841 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए। इसी तरह छात्रवृत्ति की राशि भी अटकी हुई है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के 375 करोड़ रुपये मिलने हैं। इसमें से 250 करोड़ रुपये ही अब तक मिले हैं। इसी तरह केंद्रीय सडक़ निधि में 1,150 करोड़ रुपये में से 23.13, समग्र शिक्षा अभियान में 3,060 करोड़ रुपये में से 1,823 करोड़, पीएम श्री में 135 करोड़ रुपये में से 39.81 करोड़, न्यायालय भवनों के निर्माण में 180 करोड़ रुपये में 36 करोड़, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 159 करोड़ रुपये में 105 करोड़, आयुष्मान भारत में 588 करोड़ रुपये में से 106 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं।

जल जीवन मिशन में मिले 2,400
वित्त विभाग के अनुसार वर्ष 2024- 25 में 37 हजार 652 करोड़ रुपये जल जीवन मिशन सहित विभिन्न योजनाओं में मिलना है, लेकिन नवंबर अंत तक 16,194 करोड़ रुपये ही मिले हैं। कई योजनाओं में तो बिल्कुल भी राशि नहीं दी गई। जल जीवन मिशन में 4,571 करोड़रुपये मिलने थे, जिसमें से 2,400 करोड़ मिले।  कुछ राशि विभागों को सीधी दी गई तो कुछ बजट के माध्यम से उपलब्ध कराई गई। हितग्राहीमूलक योजनाओं की राशि सीधे खातों में जमा कराई गई। इसके बाद भी केंद्रांश कई योजना में प्राप्त नहीं हुआ। भारत सरकार का महत्वाकांक्षी घर-घर नल से जल पहुंचाने का जल जीवन मिशन राशि की कमी का सामना कर रहा है। इसमें वर्ष 2024-25 में 4,571 करोड़ रुपये मिलने थे लेकिन दो बार में 2,400 करोड़ रुपये ही मिले। इसका ब्योरा भी वित्त विभाग के पोर्टल पर नहीं है।

मप्र को नहीं मिल रही केंद्र से योजना की राशि: कमलनाथ
 पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा राज्य में निजी निवेश आने के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि निजी निवेश आना दूर की बात है, राज्य को तो केंद्र की योजनाओं का पैसा ही प्राप्त नहीं हो रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव आए दिन प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश के वादों की चर्चा करते रहते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि निजी क्षेत्र से आने वाला यह निवेश तो दूर, केंद्र सरकार से प्रदेश में चल रही विभिन्न योजनाओं के लिए आने वाले पैसे को ही अब तक राज्य सरकार प्राप्त नहीं कर सकी है। कमलनाथ  ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश को चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय योजनाओं के लिए केंद्र सरकार की ओर से 37,652 करोड़ रुपए मिलने थे, लेकिन अब तक सिर्फ 16,194 करोड़ रुपये ही मिले हैं। कांग्रेस नेता का दावा है कि जिन महत्वपूर्ण केंद्रीय योजनाओं के लिए पर्याप्त राशि नहीं मिली है उनमें आयुष्मान योजना, आदिवासी समुदाय के छात्रों की छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय सडक़ निधि, पीएम श्री स्कूल और अदालत के भवन निर्माण की राशि भी अटकी हुई है। कमलनाथ ने कहा कि यह सारी रकम मध्य प्रदेश की जनता का अधिकार है और केंद्र यह पैसा देकर कोई एहसान नहीं कर रहा है। प्रदेश की जनता अपनी गाढ़ी कमाई से केंद्र सरकार को जो टैक्स देती है, उसी का एक छोटा सा हिस्सा केंद्रीय मदद के रूप में प्रदेश को वापस मिलता है। इसलिए मुख्यमंत्री दलगत राजनीति से ऊपर उठकर केंद्र सरकार पर मध्य प्रदेश को उसका अधिकार देने के लिए दबाव बनाएं।