नई दिल्ली । 2024 लोकसभा चुनाव के लिए 158 सीटों वाले चार राज्यों में भाजपा को सबसे बड़ी चुनौती मिल रही थी। बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भाजपा के लिए सबसे ज्यादा चुनौती है। 
भाजपा ने इन चारों राज्यों को प्राथमिकता में रखते हुए रणनीति तैयार की है। पश्चिम बंगाल में ममता दीदी ने अकेले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने गठबंधन में बने रहने की बात जरूर कही है। लेकिन इससे भाजपा को बड़ी राहत मिली है। वोटो का बटवारा पश्चिम बंगाल में पूर्व की तरह होगा, पश्चिम बंगाल के लिए भाजपा ने जो रणनीति बनाई थी, वह सफल रही। भाजपा के लिए अब पश्चिम बंगाल भी फायदेमंद साबित होगा। 
कर्नाटक में जद एस के साथ समझौता हो गया है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री जो कांग्रेस में चले गए थे। पार्टी उन्हें वापस लेकर आ गई है। जिससे कर्नाटक की स्थिति में भी सुधार हुआ है। 
बिहार में तो बड़ा भारी खेला भाजपा ने कर लिया है। एक बार फिर नीतीश कुमार भाजपा के पाले में आकर खड़ा हो गए हैं। उन्हें भाजपा ने मुख्यमंत्री भी बना दिया है। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान देने और नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में वापस आ जाने के पश्चात, बिहार में भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने अनुकूल वातावरण बना लिया है। महाराष्ट्र में पहले ही भारतीय जनता पार्टी,महागठबंधन को कमजोर कर चुकी है। शिवसेना और
राकापा में बटवारा कर दिया गया है। महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों के बीच बिखराव हो चुका है। यहां पर भी भाजपा को अब कोई चुनौती नहीं रही। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में हो जाने के बाद,जिन चारों राज्यों में भाजपा को सबसे ज्यादा चुनौती मिल रही थी। वहां पर इंडिया गठबंधन के प्रभाव को पूरी तरीके से खत्म कर दिया गया है। अब चारों राज्यों की नकेल भाजपा के हाथ में है।