हारी हुईं सीटें जीतने भाजपा-कांग्रेस के बड़े दांव


भोपाल । मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव फतह के लिए राजनीतिक पार्टियां पूरी ताकत से जुट गई हैं। खासतौर से भाजपा-कांग्रेस ने दोनों हारी हुईं सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। भाजपा ने प्रदेश की 39 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। ये वो सीटें हैं, भाजपा कभी नहीं जीत सकी है। इसी तरह से कांग्रेस भी भाजपा की उन 60 परंपरागत सीटों को हथियाने की रणनीति पर काम कर रही है, जो कभी जीत नहीं सकी है। इसमें भाजपा ने कांग्रेस काबिज वाली भोपाल की सर्वाधिक हॉट सीटें उत्तर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व महापौर आलोक शर्मा और मध्य से ध्रुव नारायण सिंह को प्रत्याशी बनाया है। भोपाल की सात विधानसभा सीटों में से फिलहाल चार पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा हुजूर, गोविंदपुरा, बैरसिया और नरेला विधानसभा सीट पर, तो कांग्रेस के पास मध्य, उत्तर और दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट पर काबिज है। आइए जानते हैं कि भोपाल की सात विधानसभा सीटों का राजनीतिक गणित-

क्या कांग्रेस भेद पाएगी भाजपा का अभेद्य किला
भोपाल गोविंदपुरा विधानसभा सीट भाजपा की अभेद्य किला है। यहां पिछले 46 सालों से भाजपा का कब्जा है। इसी सीट पर पूर्व सीएम बाबूलाल गौर 1980 से 2013 तक लगातार अजेय बने रहे। वर्तमान में बाबूलाल गौर की पुत्रवधू बहू कृष्णा गौर विधायक है। कोई आसमानी सुल्तानी राजनीति नहीं हुई, तो इस बार भी भाजपा कृष्णा गौर ही भाजपा की प्रत्याशी होंगी। जबकि कांग्रेस की ओर से गोविंदपुरा सीट पर रामबाबू शर्मा और  रवीन्द्र साहू (झूमरवाला) प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं।

तो नरेला विधानसभा में होगा दिलचस्प मुकाबला
भोपाल नरेला विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई। इसके बाद से ही इस सीट पर भाजपा विधायक और मंत्री विश्वास सारंग का कब्जा है। सारंग नरेला से चौथी बार जीत दर्ज की तैयारी में जुटे हुए हैं। इधर कांग्रेस इस सीट को भाजपा से छीनने की रणनीति में जुटी हुई है। इस सीट पर पूर्व प्रत्याशी महेंद्र सिंह चौहान, आशिफ जकी और कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस यहां पर राजनीतिक समीकरणों के साथ ब्राह्मण जिताऊ और प्रत्याशी की तलाश में है। यहां ब्राह्मण वोटर प्रत्याशी की हार-जीत में बड़ा रोल निभाते रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने यहां दमदार ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा तो मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा।

सबसे बड़ी सीट पर सिंधी भाग्य विधाता
भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट परिसीमन के बाद 2008 में गोविंदपुरा विधानसभा से अलग होकर अस्तित्व में आई। यह क्षेत्रफल में सबसे बड़ी विधानसभा सीट है। हुजूर में कोलार के अलावा संत हिरदाराम नगर आता है, जो कि सिंधी बाहुल्य क्षेत्र है। इसलिए यहां भाग्य विधाता हैं। यहां से जितेंद्र डागा विधायक रह चुके हैं। इसके बाद  2013 में यहां भाजपा के रामेश्वर शर्मा ने बड़ी जीत दर्ज कराई। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने नरेश ज्ञानचंदानी को प्रत्याशी बनाया था। यह चुनाव रामेश्वर सिर्फ 14 हजार वोटों से जीत सके थे। इस बार इस सीट पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा के अलावा भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी भी दावेदारी कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से इस सीट पर पूर्व विधायक जितेंद्र डागा और नरेश ज्ञानचंदानी दावेदारी कर रहे हैं।

दक्षिण-पश्चिम में प्रत्याशी चयन को लेकर घमासान
दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों में प्रत्याशी चयन को लेकर एक अनार सौ बीमार की स्थिति बन रही है। यहां से अभी कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा विधायक हैं। लेकिन इस बार इस सीट पर कांग्रेस उलझती नजर आ रही है। इस सीट पर  संजीव सक्सेना और अमित शर्मा भी पूरी ताकत से दावेदारी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस बार हुजूर विधानसभा से भाजपा की ओर से भगवानदास सबनानी को टिकट देने की चर्चा जोरो पर है। यदि ऐसा होता है विधायक रामेश्वर शर्मा को दक्षिण पश्चिम सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इसके अलावा पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता और राहुल कोठारी भी दावा कर रहे हैं।