एक दर्जन से अधिक सांसदों का टिकट खतरे में


भोपाल । मप्र में लोकसभा की सभी 29 सीटों को जीतने के लिए भाजपा एक दर्जन से अधिक सांसदों का टिकट काट सकती है। विधानसभा के चुनाव परिणामों और पार्टी के सर्वे के अनुसार प्रदेश की तकरीबन एक दर्जन लोकसभा सीटों पर पार्टी की स्थिति कमजोरबताई जा रही है। इन सीटों पर भाजपा को विधानसभा चुनाव में भी बढ़त नहीं मिल पाई। ऐसे में क्लीन स्वीप करने के लिए बभजापा सासंदों का टिकट काट सकती है। बता दें 2019 में भाजपा ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार पार्टी ने सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी के बीच यह तथ्य सामने आया है कि पार्टी के कई सांसदों से जनता नाराज है। लेकिन भाजपा को राष्ट्रवाद और राममंदिर इन सीटों पर जीत दिला सकता है। इस लिए भाजपा बिना हिचक के टिकटों पर कैंची चला सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि नई दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व ही लोकसभा के टिकट तय करेगा। हर राज्य अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। मध्य प्रदेश भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। कौन कहां से लड़ेगा यह केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर है।

इन सांसदों को नहीं मिलेगा टिकट
कमजोर परफॉर्मेंस वाले सांसदों के टिकट कटने को लेकर भाजपा संगठन में चर्चाएं तेज हो गई हैं। उन्हें इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया भारतीय जनता पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव में अलग प्लान के तहत उतरेगी। इस बार उन सांसदों के टिकट काटने की तैयारी चल रही है, जिनका परफॉर्मेंस कमजोर है। इसके साथ ही जो नेता तीन या उससे ज्यादा बार सांसद रह चुके हैं, उन्हें इस बार मौका दिए जाने की संभावना कम ही है। भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी ने एमपी के लिए जो क्राइटेरिया तैयार किया है। भाजपा इस बार एमपी में 16 नए चेहरों को मौका दे सकती है।

युवा और महिलाओं को टिकट
भाजपा सूत्रों का कहना है कि  29 में से आधी सीटों पर पार्टी युवा और महिलाओं को चुनाव में उतारेगी। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चुनाव में हर बार प्रत्याशियों के नामों को लेकर चौंकाता है। इस बार राज्यसभा के चार में से तीन चौंकाने वाले प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाई गई है। अब लोकसभा की 29 सीटों पर भी पार्टी नए चेहरे को उत्तारकर चौंका सकती है। इस बार 23 सीटों में से करीब एक दर्जन सीटों पर मौजूदा सांसदों के टिकट कटना तय बताया जा रहा है। इनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन और धार के सांसद भी शामिल बताए जा रहे हैं। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 29 में से 28 सीटें जीती थीं। इनमें से सात सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया। इसमें रीवा से सांसद गणेश सिंह और मंडला से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव हार गए। पांच सांसद चुनाव जीते। ऐसे में अब भाजपा के 23 सांसद बचे हैं। पांच सांसदों के विधायक बनने के बाद पांच लोकसभा सीट खाली हो गईं। इनमें मुरैना, होशंगाबाद, सीधी, जबलपुर और दमोह सीटे हैं। इन सीटों पर अब पार्टी नए चेहरे चुनाव मैदान में उतारना तय है।

इनका टिकट खतरे में
पार्टी के मौजूदा सांसदों में करीव दर्जन चेहरे बदल सकती है। इसमें मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते हैं। कुलस्ते आदिवासी नेता हैं, लेकिन वे विधानसभा चुनाव ही हार गए। वहीं, सतना से सांसद गणेश सिंह के टिकट पर भी खतरा है। वे भी विधानसभा का चुनाव हार गए। इसके अलावा रीवा से जनार्दन मिश्रा, बालाघाट से लाल सिंह बिसेन, विदिशा से रमाकांत भार्गव, भोपाल से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, राजगढ़ से रोडमल नागर, उज्जैन से अनिल फिरोजिया, धार से छत्तर सिंह, इंदौर से शंकर लालवानी, ग्वालियर से विवेक शेजवलकर, सागर से राजबहादुर सिंह भी ऐसे नाम हैं, जिन पर टिकट कटने के बादल मंडरा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। वे गुना लोकसभा सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। यदि सिंधिया गुना से चुनाव लड़ते हैं तो मौजूदा सांसद केपी यादव का टिकट कटना तय है। हालांकि सिंधिया ग्वालियर से भी चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी केपी यादव का टिकट काटकर यादव वोटरों को नाराज नहीं करना चाहेगी।

विधानसभा की तर्ज पर लोकसभा चुनाव की तैयारी
एमपी में भाजपा ने विधानसभा 2023 में प्रदेश की 230 सीटों पर लिस्टवार उम्मीदवारों की घोषणा की थी। जिसमें सबसे पहले उन सीटों को चिन्हित किया गया था, जहां पर वर्ष 2018 में कांग्रेस के विधायक जीतकर आए थे। इसके बाद उन सीटों को चिन्हित किया था जहां भाजपा विधायक वर्ष 2018 में कम अंतर से जीते थे। इसके बाद उन सीटों पर भी मंथन किया गया था जहां, पर वर्ष 2018 में बने विधायकों का 2023 के चुनाव में विरोध हो रहा था। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारकर एमपी में नया प्रयोग किया और इसी प्लान के तहत भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2023 में प्रचंड जीत हासिल की। इसी प्लान के तहत भाजपा लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशियों की पहली लिस्ट फरवरी में ही जारी कर सकती है। उन सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हो सकता है, जो कमजोर हैं या फिर हारी हुई सीट हैं। भाजपा के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर जो बैठक हुई थी, उसमें सबसे ज्यादा चर्चा उन विधानसभा सीटों की हुई जहां पर भाजपा का कमजोर प्रदर्शन रहा। ये सभी विधानसभा सीटें एमपी की 10 लोकसभा सीटों को प्रभावित करती है। बता दें पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था। इनमें से 5 सीटों पर जीत मिली जबकि सतना सांसद गणेश सिंह और मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव हार गए। बता दें कि एमपी में जो दस लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस भाजपा से आगे रही है। इन 10 लोकसभा सीटों में से पार्टी ने बैठक के दौरान 5 सीटों को डेंजर जोन में रखा है। इसके अलावा पांच सीटें ऐसी हैं, जहां के मौजूदा सांसदों के लिए खतरे की घंटी मानी जा रही है।