कांतिलाल भूरिया बने चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष


 भोपाल। विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर आदिवासी कार्ड चल दिया है। पार्टी ने विधानसभ चुनाव अभियान समिति की घोषणा कर दी है। जिसका अध्यक्ष वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया को बनाया है। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आदिवासियों को सबसे अधिक वोट मिला था। इसलिए पार्टी ने इस बार आदिवासियों को साधने की दिशा में यह बड़ा कदम उठाया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खडग़े ने मध्य प्रदेश के लिए चुनाव अभियान समिति का गठन किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और विधायक कांतिलाल भूरिया को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, अरुण यादव, अजय सिंह, विवेक तंखा, नकुलनाथ, सज्जन सिंह वर्मा को समिति सदस्य बनाया गया है।
कांग्रेस ने मप्र में इस साल के आखिर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज अपनी प्रदेश इकाई के लिए चुनाव अभियान समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया करेंगे। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए चुनाव अभियान समिति के गठन को स्वीकृति प्रदान की। जानकारी के मुताबिक, समिति में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के अलावा 30 से अधिक वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है। एक दिन पहले ही कांग्रेस ने पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।
कांतिलाल भूरिया के नेतृत्व वाली कांग्रेस की 34 सदस्यीय टीम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल, विवेक तन्खा, राजमणि पटेल, सज्जन सिंह वर्मा, एनपी प्रजापति, केपी सिंह कक्काजू, लक्ष्मण सिंह, बाला बच्चन, तरुण भनोट, ओंकार सिंह मरकाम, विजयलक्ष्मी साधो, राजेन्द्र सिंह, हिना कांवरे, लाखन सिंह यादव, सुखदेव पांसे, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, रामनिवास रावत, नकूल नाथ, सुरेन्द्र चौधरी, आरिफ मसूद,  महेन्द्र जोशी, शोभा ओझा, अशोक सिंह, राजीव सिंह, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, ओबीसी विभाग के अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस के अन्य प्रकोष्ठों के प्रमुख शामिल हैं। इस साल के अंत होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस 15 अगस्त के पहले कई अन्य समितियों का भी गठन कर सकती है।
दरअसल, मध्य प्रदेश की राजनीति में आदिवासी वोट बैंक की खासी अहमियत मानी जाती है। यहां आदिवासी वोट बैंक को सत्ता की चाबी माना जाता है। यानी जिस पार्टी को आदिवासी समुदाय का समर्थन मिलता है, उसे सत्ता मिलना भी तय माना जाता है। इसकी वजह भी है, राज्य की 47 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए लिए आरक्षित हैं। यही कारण है कि कांग्रेस के साथ भाजपा भी इन सीटों पर खास फोकस कर रहे हैं। अब कांग्रेस एक कदम आगे बढ़ते हुए चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष आदिवासी वर्ग से आने वाले कांतिलाल भूरिया को बनाया गया है।
कांग्रेस इन समितियों में क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखते हुए अपने वरिष्ठ नेताओं को स्थान देने की कोशिश कर रही है। सहयोगी संगठनों के प्रदेश अध्यक्षों को भी इनमें शामिल किया जाएगा। इसे चुनाव अभियान समिति के गठन भी भी देखा जा सकता है। इसमें कांग्रेस ने अपने आनुसांगिक संगठनों के प्रमुखों को जगह दी है।अभियान समिति ही निर्धारित करेगी कि कब, कहां और किस नेता के कार्यक्रम कराने हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की अभी राजनीतिक मामलों की समिति ही थी। इसमें सभी वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है। प्रत्याशियों के चयन के लिए भी समिति का गठन होगा। समन्वय, प्रचार-प्रसार और सत्कार समिति का भी गठन होना है। इन समितियों में कमलनाथ की अहम भूमिका होगी। प्रत्याशी चयन के लिए अभी जो आवेदन आ रहे हैं,उन्हें सर्वे करने वाली एजेंसियों को दिया जा रहा है, ताकि मैदानी स्थिति का आकलन हो सके। सर्वे में जो भी नाम आएंगे। उस पर स्क्रीनिंग कमेटी विचार कर आगे बढ़ाएगी।