पितृ पक्ष एक ऐसा समय होता है जो पूर्वजों की शांति एवं उनके आशीर्वाद को पाने का समय होता है. इस समय किए जाने वाले अच्छे कार्यों से हम अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं. अगर इन कुछ दिनों तक नियमों का पालन सही से किया जाए तो निश्चित है पितरों की शुभता हम सभी को मिलेगी.

इस दौरान कई बातों का विशेष ध्यान रखना होता है जिसमें से सबसे अहम खान पान से जुड़ी आदतें भी हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्ञात होता है कि पितृपक्ष एक ऐसा समय होता है जब पितर पृथ्वी पर आते हैं ओर लोग उन्हें पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं. इसलिए पितृ पक्ष के दौरान कुछ चीजों का सेवन करना वर्जित माना गया है. आइये जानें इन से जुड़े बातें.

सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, श्राद्ध क्रिया करने वाले व्यक्ति को बाहर का बना हुआ खाना नहीं खाना चाहिए. उस व्यक्ति को सोलह दिनों तक केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए जब तक यह अवधि समाप्त न हो जाए. धार्मिक दृष्टि से बाहर का खाना अशुद्ध माना जाता है. बता दें कि पितृपक्ष 28 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 14 अक्टूबर तक चलने वाले हैं तो अभी से इन बातों को ध्यान में रख लेना उचित होगा.

पितृ पक्ष तक खान पान को लेकर रहें सावधान
श्राद्ध के इस 16 दिनों के दौरान लोग अपने मृत पूर्वजों के लिए पूजा का आयोजन करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. इसके साथ ही पंडितों और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र आदि का दान किया जाता है. श्राद्ध के दौरान मांस और चिकन आदि का सेवन नहीं किया जाता है. पितरों के अनुष्ठान में कोई बाधा न आए इस बात का ध्यान देने की आवश्यकता होती है. इसलिए इसमें मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन अशुभ माना जाता है इसलिए इन चीजों का सेवन नहीं किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर इस दौरान इन रीति-रिवाजों का ठीक से पालन नहीं किया गया तो पितर नाराज हो सकते हैं. जिसके बाद कई बार पितृदोष की स्थिति का सामना करना पड़ता है.

तामसिक भोजन नशे से दूरी रखना जरूरी होता है.
कुछ हिंदू धार्मिक ग्रंथों में इन दिनों प्याज और लहसुन खाना भी वर्जित माना गया है. प्याज और लहसुन तामसिक प्रकृति के होते हैं. जिसे खाने से व्यक्ति की इंद्रियों पर असर पड़ता है. इसलिए श्राद्ध के दौरान बिना प्याज-लहसुन का खाना बनाने की सलाह दी जाती है. इन सभी बातों को खानपान में ध्यान रखने की सख्त जरूरत होती है तभी पितृ पक्ष सफल होता है.