शिवपुरी ।   वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए वनपालों और वन रक्षकों की नियुक्ति की जाती है। इन पर जंगलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। जिले में फैले हजारों वर्ग किमी के जंगलों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किए गए वन के रक्षक जंगल की सुरक्षा करने के बजाए कार्यालय में बाबूगिरी कर रहे हैं।

वन रक्षकों के बाबूगीरी में व्यस्त होने से जंगलों की अवैध कटाई और अवैध उत्खनन बढ़ रहा है, लेकिन अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। यह स्थिति तब है जब वन मुख्यालय से स्पष्ट निर्देश हैं कि वनरक्षकों व वनपालों को कार्यालयीन कार्यों में संलग्न न करते हुए वन्यप्राणियों की सुरक्षा व वन क्षेत्रों की सुरक्षा में लगाया जाए।

वनरक्षक आफिस में नियम विरुद्ध अटैच

जिले की बात करें तो यहां पर डीएफओ ने दर्जनभर से अधिक वनरक्षकों को आफिस में नियम विरुद्ध अटैच कर दिया गया है। विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो कई फील्ड स्टाफ तो अधिकारियों के बंगलों पर दरबान की भूमिका निभा रहे हैं। इसे लेकर जो वनरक्षक फील्ड पर तैनात हैं उनमें रोष पनप रहा है और सामूहिक रूप से विरोध दर्ज कराने की तैयारी में हैं।

अटैचमेंट का नतीजा

जंगल फील्ड स्टाफ को आफिस में अटैच करने का नतीजा यह है कि जिला मुख्यालय की बीट पर ही जंगलों में अवैध खनन बढ़ रहा है। डबिया, मझेरा के आसपास के क्षेत्र में बिना लीज के बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई से बचा जा रहा है। हर दिन लाखों रुपये का पत्थर यहां से निकाला जा रहा है। स्थिति यह है कि कई क्षेत्रों में तीन किमी तक जंगल को खोद दिया गया है।

यहां दिन रात एलएनटी मशीन और जेसीबी से खोदाई की जा रहा है। ऊपर से दबाव आने पर टीम जाकर कुछ फर्शी-पत्थर तोड़कर आ जाती है, लेकिन माफिया पर आज तक कार्रवाई नहीं की गई। शिवपुरी क्षेत्र में जंगल में हो रहे अवैध उत्खनन 

किसी को बनाया दरबान, तो कोई कर रहा आवक-जावक

सूत्रों की मानें तो विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उड़नदस्ते के चार सिपाहियों को अपने बंगले पर तैनात कर दिया है। एक वनरक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जंगल इतने सुरक्षित नहीं हैं और फिर भी हमें दो-दो बीट पर काम करना पड़ रहा है जबकि साथी स्टाफ के कई साथी सदस्य आफिस में तैनात हैं।

विभाग से जुड़े लोगों की मानें तो दो एक स्टार फारेस्टर को भी आफिस के काम में लगा रखा है। मुख्यालय के आदेश के विपरीत आदेश भोपाल से वन मुख्यालय से जारी आदेशों को दरकिनार करते हुए वन रक्षक अमन सक्सेना को खुद के कार्यालय में कार्यालयीन कार्य पदस्थ कर दिया। यह आदेश के साथ भोपाल मुख्यालय से आए अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक के आदेश के विपरीत है जिसमें वनरक्षक व वनपालों को कार्यालयीन कामों न लगाने के निर्देश हैं। मैदानी अमले को मैदान में ही होना चाहिए।

पिछले वर्षों से स्पष्ट रूप से आदेश जारी हो रहे हैं कि मैदानी कर्मचारियों को आफिस में न लगाया जाएगा। इसके बाद भी अधिकारी अपनी मनमानी करते हुए फील्ड के स्टाफ को आफिस के कामों में लगा देते हैं।

-दुर्गाप्रसाद ग्वाल, संभागीय अध्यक्ष, मप्र वन कर्मचारी संघ