पश्चिम बंगाल के स्थापना दिवस के मुद्दे पर सरकार और राज्यपाल के बीच तनाव जारी है। सीएम ममता बनर्जी की आपत्तियों के बावजूद मंगलवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन में 'पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस' का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही पंचायत चुनाव के संदर्भ में उन्होंने जनता के स्वतंत्रता से मकदान करने के अधिकार पर जोर दिया। गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले ही सीएम ममता बनर्जी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर उनके फैसले पर आपत्ति जताई थी। वहीं, जहां टीएमसी ने राज्यपाल के इस कदम का विरोध किया है वहीं, भाजपा ने इसका स्वागत किया है।  

राज्यपाल सीवी आनंद के इस कदम का टीएमसी ने विरोध किया है। इस समारोह में टीएमसी का कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ। टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि अभी राज्यपाल से संबंध अच्छे नहीं हैं क्योंकि जिन मामलों में उन्हें नहीं होना चाहिए उनमें वह दखल दे रहे हैं। राज्यपाल के कारण किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति नहीं है। इतना ही नहीं वह बिना पूछे हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं। अब उनके द्वारा 'प्रतिष्ठा दिवस' मनाने से समस्या बढ़ेगी। शायद उन्हें बंगाल का इतिहास नहीं पता है।

टीएमसी के विरोध से उलट भाजपा ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस को मनाने के फैसले का स्वागत किया है। पश्चिम बंगाल के नेता विपक्ष सुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस मनाने के राज्यपाल के फैसले पर आपत्ति जताने पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि 1947 में आज ही के दिन पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि बंगाल भारत के पास रहेगा न कि पाकिस्तान के पास। स्थापना दिवस भव्य तरीके से मनाया जाना चाहिए।