यूरुशलम। हमास और इजराइल की जंग में अब अन्य देशों की एंट्री भी हो गई है। एक तरफ जहां अमेरिका ने मदद के तौर पर हथियारों की पहली खेप इजराइल पहुंचा दी है वहीं अन्य सभी देशों को इस जंग से दूर रहने की सख्त नसीहत भी दे दी है। इसे देखते हुए इजराइल के पड़ोसी मुल्कों की स्थिति पर भी नजर रखी जा रही है।
इजराइल की सीमा से लगे जॉर्डन, मिस्र, सीरिया, लेबनान और फिलीस्तीन से खराब रिश्तों की वजह से हमले की आशंका बनी हुई है। उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है कि हमास के इजराइल पर हमले के बाद लेबनान में संरक्षित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने भी इजराइल पर हमला बोल दिया। इसका जवाब भी इजराइल ने हमले से ही दिया है। 
यह स्थिति वर्तमान की है, लेकिन इससे पहले ही लेबनान ने इजराइल को दुश्मन राष्ट्र घोषित कर रखा है। कुल मिलाकर इजराइल सीमा से लगे दुश्मन देशों से घिरा हुआ है। उसके खिलाफ चरमपंथी हमास और हिजबुल्लाह हमला कर चुके हैं। ऐसे में अन्य पड़ोसी राष्ट्र मौके की तलाश में नहीं होंगे कहना मुश्किल है। पिछले युद्धों की हार से ये देश हतोत्साहित जरूर होंगे, लेकिन जैसे ही ये एकजुट हुए तो फिर इजराइल की मुश्किलें बढ़ा भी सकते हैं। 
इस स्थिति में इजराइल के लिए यही बेहतर होगा कि वह बातचीत और समझौते के रास्ते भी तलाश करे, क्योंकि हालात और बिगड़े तो अन्य देश भी जंग में शामिल होने से गुरेज नहीं करेंगे। ऐसे में सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों के साथ इजराइल का शांति समझौता भी काम नहीं आ पाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि इजराइल और हमास की जंग का बढ़ता दायरा शांति समझौते पर भी असर डालेगा। अभी अमेरिका सीधे तौर पर जंग में शामिल हुआ और रुस ने इस पर तंज भी कसा है।