भोपाल । मध्यप्रदेश के आसमान पर बादल रोज अपना डेरा डाल रहे लेकिन बिन बरसे ही निकल जा रहे हैं। यह सिलसिला लंबे समय से बना हुआ है।  मौसम विभाग की माने तो वर्तमान में भारी वर्षा के आसार नहीं है, छिटपुट बौछारें ही पड़ती रहेंगी। मानसून द्रोणिका लगातार मध्य प्रदेश में बनी हुई है। बंगाल की खाड़ी में अति कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इसके बाद भी प्रदेश में बादल तो बने हुए हैं, लेकिन लगातार वर्षा नहीं हो रही है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक वर्तमान मौसम प्रणालियों से प्रदेश में सक्रिय मानसून को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। इस वजह से फिलहाल कहीं भी भारी वर्षा होने की संभावना नहीं है, लेकिन भोपाल, इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलों में कहीं-कहीं छिटपुट वर्षा हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक मानसून द्रोणिका वर्तमान में बंगाल की खाड़ी में उत्तरी आंध्रा तट एवं उससे लगे दक्षिणी ओडिशा पर अति कम दबाव का क्षेत्र बन गया है।मानसून द्रोणिका जेसलमेर, कोटा, गुना, रायपुर, पुरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी में उत्तरी आंध्रा तट एवं उससे लगे दक्षिणी ओडिशा पर बने अति कम दबाव के क्षेत्र से होकर बंगाल की खाड़ी तक जा रही है। उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। इसके अतिरिक्त गुजरात के कच्छ में भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अलग-अलग स्थानों मौसम प्रणालियां बनी हैं। इनके असर से कुछ नमी तो मिल रही है, लेकिन पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलने के कारण लगातार वर्षा नहीं हो पा रही है। तापमान बढ़ने के कारण स्थानीय स्तर पर कहीं-कहीं बौछारें पड़ रही हैं। बंगाल की खाड़ी में बनी मौसम प्रणाली के बुधवार को अवदाब के क्षेत्र में परिवर्तित होने की संभावना है। इसके आगे बढ़ने से मानसून की सक्रियता कुछ बढ़ सकती है, लेकिन झमाझम वर्षा होने की उम्मीद कम ही है। उधर मंगलवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक सीधी में 18, सागर में 14, मलाजखंड में आठ,उज्जैन में दो, पचमढ़ी एवं इंदौर में 0.8 मिलीमीटर वर्षा हुई। नर्मदापुरम एवं सतना में बूंदाबांदी हुई।