सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य शुरु करने से पहले प्रभु श्री गणेश की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यता है कि प्रभु श्री गणेश की पूजा करने से सारी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। वही इस बार गणेश चतुर्थी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी।

अंग्रेजी महीने के मुताबिक, यह सितंबर माह की 19 तारीख को पड़ रही है। 10 दिन चलने वाले इस पर्व की धूम पूरे भारत में देखने को मिलेगी। इस के चलते भक्त गणपति की निरंतर 10 दिन तक पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करेंगे। फिर 10 दिनों बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर उन्हें विदा करेंगे।

भगवान गणेश की पूजा से जुड़ी कुछ अहम बातें:-
गणेश जी की पूजा में तुलसी को सम्मिलित न करें।
आपको प्रभु श्री गणेश को गुड़ के मोदक और बूंदी के लड्डू, शामी वृक्ष के पत्ते तथा सुपारी अर्पित करनी चाहिए, क्योंकि ये चीजें भगवान को अति प्रिय होती हैं।
गणपति जी की पूजा हमेशा हरे रंग के कपड़े पहनकर करनी चाहिए।
गणेश चतुर्थी में भगवान की स्थापना करने के पश्चात् प्याज और लहसुन का सेवन न लगाएं।
पूजा के चलते भगवान को दूर्वा घास अवश्य चढ़ाएं।

हिंदू संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। यह मान्यता पीढ़ियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि प्रभु श्री कृष्ण पर एक बहुमूल्य रत्न चोरी करने का झूठा आरोप लगाया गया तथा उन्हें सजा दी गई। तत्पश्चात, भगवान को कोढ़ की बीमारी हो गई, जिससे छुटकारा पाने का सिर्फ एक ही तरीका था, भक्ति-भाव के साथ गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा करना। हालांकि, इस त्यौहार की रात जब भगवान ने चंद्रमा को देखा, तो उनकी बीमारी और बढ़ गई। यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए।