माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाने वाला बसंत पंचमी (Basant Panchami 2024) का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इस बार यह पर्व 14 फरवरी (बुधवार) को मनाया जाएगा. इसे बसंत ऋतु के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन पीले वस्त्रों को धारण करना शुभ माना जाता है. वहीं बसंत पंचमी के अवसर पर मंदिरों में कई तरह के अनुष्ठान पूजा अर्चना होती है. उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित श्रीनगर गढ़वाल के पौराणिक सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के साथ भगवान शिव को मीठा भात (चावल) खिलाने का विधान है. चारधाम यात्रा मार्ग के मुख्य पड़ाव श्रीनगर में स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की भी आस्था का प्रमुख केन्द्र है. यहां हर वर्ष मकर संक्रांति और बसंत पंचमी पर महादेव को विशेष भोग लगाया जाता है.

कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने कहा कि सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर प्रत्येक वर्ष मीठे भात का भोग लगाया जाता है. पुराने समय से यह प्रथा चली आ रही है. मकर संक्रांति पर भगवान शंकर को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी के अगले दिन यानी 15 फरवरी को कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृत कमल का अनुष्ठान होगा, जिसमें भगवान शिव की काम शक्ति जागृत करने के लिए भव्य अनुष्ठान किया जाएगा.

तारकासुर से परेशान देवों ने किया था शिव का आह्वान
मान्यताओं के अनुसार, तारकासुर राक्षस के अत्याचार से पीड़ित सभी देवता भगवान शिव को दूसरे विवाह के लिए मनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन भोलेनाथ ध्यान अवस्था में लीन थे. जिसके बाद कामदेव उनकी साधना भंग कर देते हैं. सभी देवता शिव को विवाह के लिए मनाते हैं. मंदिर के महंत के अनुसार कमलेश्वर मंदिर में ही महादेव को तारकासुर के अत्याचारों के बारे में बताया गया था. साथ ही उनकी काम शक्ति जागृत करने के लिए अनुष्ठान किया गया था.

बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तिथि होगी तय

देवभूमि उत्तराखंड में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है. इस दिन चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की जाती है. टिहरी गढ़वाल स्थित राजमहल में पंचांग गणना के बाद बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन का निर्धारण होता है.