हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं हैं लेकिन एकादशी का व्रत इन सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया हैं जो कि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं।

एकादशी का व्रत हर माह में दो बार पड़ता हैं ऐसे साल में कुल 24 एकादशी के व्रत किए जाते हैं अभी श्रावण मास चल रहा हैं और इस माह में पड़ने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाएगी।

इस बार पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई दिन शनिवार को पड़ रहा हैं। इस व्रत को करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती हैं साथ ही पितरों को मोक्ष मिलता हैं। पद्मिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के संग अगर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाए तो जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पद्मिनी एकादशी पूजा का मुहूर्त और विधि बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं।

 

पूजन का शुभ समय-
धार्मिक पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 28 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 51 मिनट से आरंभ हो रही हैं और अगले दिन यानी 29 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 5 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में 29 जुलाई को एकादशी का व्रत करना उत्तम रहेगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 22 मिनट से लेकर 9 बजकर 4 मिनट के मध्य पूजा करना फलदायी होगा। वही पारण के लिए 30 जुलाई को सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 24 मिनट तक का समय ठीक रहेगा।

 

पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि-
आपको बता दें कि इस दिन जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर गंगाजल से आचमन कर भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें। फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा फल, पुष्प, धूप, दीपक, अक्षत, दूर्वा, चंदन आदि से करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ जरूर करें। साथ ही भगवान की आरती करें। अंत में भूल चूक के लिए क्षमा मांगे और अपनी मनोकामना भगवान से कहें। अब दिनभर का उपवास रखें और संध्या पूजन में आरती कर फलाहार ग्रहण करें। अगले दिन पूजा करके पारण करें और गरीबों को दान जरूर दें।