नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र का आखिरी सप्ताह सबसे ज्यादा गहमागहमी वाला रहेगा। सोमवार से शुरू होने वाले सप्ताह में विपक्ष लोकसभा में सरकार को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कठघरे में खड़ा करेगा, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संसद सदस्यता पर सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत पर विपक्ष के हौसले भी बुलंद रहेंगे।

संख्याबल में सरकार विपक्ष पर बहुत भारी है, लेकिन इस बार विपक्ष के तरकश में सरकार को परेशान करने वाले कई तीर भी होंगे।

संसद के मॉनसून सत्र में एक दिन भी लोकसभा में पूरी तरह बिना बाधा के कार्रवाई नहीं हो सकी। कुछ दिन को कोई कामकाज नहीं हुआ और कुछ दिन सरकार ने हंगामें में कई विधयकों को पारित कराया। विपक्ष ने केवल दिल्ली सेवा विधेयक पर ही चर्चा में हिस्सा लिया। अब वह अपने अविश्वास प्रस्ताव पर ही सदन की कार्यवाही में पूरी तरह से बिना हंगामे के हिस्सा लेगा। अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार से चर्चा शुरू होगी और यह गुरुवार को प्रधानमंत्री के जबाब से समाप्त होगी।

इस बीच स्थितियां बदली है। सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में संसद सदस्यता गंवाने वाले राहुल गांधी को 133 दिन बाद राहत दे दी है। संभावना है कि जल्द ही लोकसभा सचिवालय राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने का फैसला कर सकता है। शुक्रवार को अदालत का फैसला आने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को कहा था कि वह अदालत के आदेश की प्रति मिलने के बाद फैसला करेंगे। संभावना है कि राहुल गांधी सोमवार को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लें। इससे लोकसभा के अंकगणित पर तो ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन विपक्ष के हौसले जरूर बुलंद होंगे और उसके हमलों को नई धार मिलेगी।

दूसरी तरफ सरकार भी पूरी तरह से विपक्ष के अधिकांश दलों द्वारा हाल में बनाए गए इंडिया गठबंधन को लेकर पलटवार करती दिखेगी। सरकार की से लगातार इस गठबंधन पर हमले जारी है और इसे न केवल बेमेल बल्कि सबसे अस्थिर गठबंधन करार दिया जा रहा है। हालांकि सरकार हाल में मणिपुर व हरियाणा की हिंसा की घटनाओं को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहेगी। उसे महंगाई के मुद्दे पर विपक्षी हमलों का सामना करना पड़ेगा।

सरकार करेगी सबसे बड़े समर्थन की कोशिश
इस सबसे इतर सरकार इस बार अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे ज्यादा मत हासिल करने की कोशिश भी करेगी और इस संख्या बल से विपक्षी हमलों की धार को भोथरा करने की कोशिश करेगी। राजग के पास लोकसभा में 332 (भाजपा-301, शिवसेना शिंदे-13, लोजपा (दोनों)-6, राकांपा-3, अपनादल -2, आजसू-1, अन्नाद्रमुक-1.एमएनएफ-1, एनपीपी-1, एनपीएफ-1, एलडीडीपी-1,एसकेएम-1 ) सांसदों का समर्थन है। अगर उसके पक्ष में वाईएसआरसापी का समर्थन मिलता है तो यह संख्या 353 सांसदों का समर्थन होगा। वहीं, अगर बीजेडी ने अगर समर्थन दिया तो यह संख्या और ज्यादा होगी।

1963 में सरकार के पक्ष में बड़े थे 347 मत
गौरतलब है कि अभी तक विभिन्न सरकारों के खिलाफ 1963 से अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। इनमें सरकार के पक्ष में अब तक के सबसे ज्यादा 347 मत 1963 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के पक्ष में पड़े थे। मोदी सरकार के खिलाफ पिछली बार 2018 में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के पक्ष में 330 मत पड़े थे। वाईएसआरसीपी और बीजेडी के समर्थन से पीएम मोदी नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं।