अहमदाबाद | सुप्रीम कोर्ट ने 28 सप्ताह की गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता के केस में गुजरात हाईकोर्ट को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब ऐसे मामले में एक एक दिन अहम तब 12 दिन बाद सुनवाई की तारीख कैसे तय की गई| दरअसल गुजरात हाईकोर्ट में 7 अगस्त को दुष्कर्मी पीड़िता की ओर अबॉर्शन याचिका दाखिल की गई थी| हाईकोर्ट ने 8 अगस्त को मामले की सुनवाई की और तत्काल एक मेडिकल बोर्ड गठित कर गर्भावस्था की स्थिति का पता लगाने का आदेश दिया था| बोर्ड ने 10 अगस्त को अपनी रिपोर्ट गुजरात हाईकोर्ट को सौंप दी| 11 अगस्त को हाईकोर्ट ने रिपोर्ट को रिकार्ड पर तो ले लिया, परंतु मामले की सुनवाई 23 अगस्त पर टाल दी| गुजरात हाईकोर्ट के इसी रुख पर सख्त ऐतराज जताते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए थी| हाईकोर्ट को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस को सुनते हुए सेंस ऑफ अर्जेंसी दिखनी चाहिए थी, जिसका अभाव है| ऐसे मामले में कोर्ट कैसे की फैसला दिए बिना ही 12 दिन बाद सुनवाई की तारीख तय कर सकता है| याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि पीड़िता 27 सप्ताह 2 दिन की गर्भवती है और जल्द ही 28 सप्ताह में पहुंच जाएगी| इस जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बहुत ही बहुमूल्य समय नष्ट हो चुका है| अभी तक 17 अगस्त का आदेश तक अपलोड नहीं किया गया है| जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी को गुजरात हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से पूछताछ करने का निर्देश देते हैं| सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 21 अगस्त को करेगी|