दुर्ग जिले का पहला विद्युत शवदाह गृह भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में बनकर तैयार हो चुका है। 5 जनवरी से उसे शुरू कर दिया गया है। इससे पहले इसकी टेस्टिंग की जा रही थी। टेस्टिंग पूरी होने के बाद इसे शुरू कर दिया गया है। इस मशीन से पहला शवदाह बंगाली समाज के लोगों की मौजूदगी में मृतक राधा श्याम कर्माकर का किया गया।

टेस्टिंग का पूरा कार्य भिलाई नगर निगम के महापौर नीरज पाल व आयुक्त रोहित व्यास की निगरानी में हुआ है। उन्होंने बताया कि विद्युत शवदाह गृह 6 जनवरी से लोगों के लिए शुरू कर दिया गया है। इसके लिए अलग से शेड सहित कमरा बनाया गया था। वहां विद्युत ताप मशीन को इंस्टॉल किया गया। इस मशीन को शुरू करने के लिए अलग से एक ट्रांसफार्मर लगाया गया। टेस्टिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विद्युत शवदाह गृह को प्रारंभ कर दिया गया है। बारिश के दिनों में भी विद्युत शवदाह गृह काफी कारगार साबित होगा, क्योंकि इन दिनों अधिकतर लकड़ी और कंडे बारिश में भीग जाते हैं। इससे शव को जलाने में काफी परेशानी होती थी।

दो घंटे में हो जाएगी शवदाह की प्रक्रिया
विद्युत शवदाह की प्रक्रिया की बात करें तो यह मात्र 2 घंटे में पूरी हो जाएगी। इसके बाद परिजन मरने वाले की अस्थियां वहां से प्राप्त कर सकेंगे। पूरी प्रोसेस की बात करें तो यह 1:30 से 2 घंटे का है। यह मशीन पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी बहुत उपयोगी है। लकड़ी और कंडे के अभाव में भी इसकी प्रक्रिया जारी रहेगी तथा इसके प्रारंभ होने से लकड़ी और कंडे की बचत भी होगी। 1 दिन में 10 घंटे में 5 से 8 शवदाह हो पाएंगे।

सीनियर टेक्नीशियन धनेश कुमार ने बताया कि विद्युत शवदाह के लिए 550 से 600 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। सबसे पहले डोर अप करके शव को इसमें रखा जाता है। इसके बाद तापमान को नियंत्रित कर प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसके बाद अस्थि संग्रहण कर सकते हैं। अस्थि संग्रहण के लिए अलग से नीचे चेंबर बनाया गया है। मशीन का ताप बाहर न आए इसके लिए ब्लास्ट फर्नेस ईट का भी उपयोग किया गया है।

49 लाख रुपए की लागत से बना विद्युत शवदाह गृह
विद्युत शवदाह गृह के निर्माण में 49 लाख रुपए खर्च हुए हैं। इसके संचालन और संधारण के लिए एजेंसी को हायर किया गया है। ये एजेंसी 2 साल तक काम करेगी इस दौरान यह कंपनी मशीन का मेंटनेस भी देखेगी। इसके अलावा निगम कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण दिया जा चुका है।