Janmashtami 2023: हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्वस के रूप में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। अनेक ग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई लीलाएं और मान्यताएं हैं।
भगवान श्री कृष्ण अपने मुकुट में मोर पंख लगाते थे, इस कारण से कृष्ण भगवान को मोर मुकुटधारी भी कहा जाता है। माता यशोदा अपने कान्हा का खूब श्रृंगार करती थीं और उनके मुकुट पर हमेशा मोर पंख का लगाती थीं। कान्हा के मुकुट पर हमेशा मोर पंख क्यों सजा होता है? इसके पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं।

जब मोर को दिया आश्वासन
कथा है कि जब भगवान विष्णु ने त्रेता युग में श्रीराम के रूप में अवतार लिया और जब श्रीराम अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण सहित 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे। तभी वन में सीता को रावण हर कर ले गया था। तब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते हुए वन वन भटक रहे थे और सभी से सीता का पता पूछ रहे थे कि क्या उन्होंने सीता को कहीं देखा है? तब एक मोर ने कहा कि प्रभु मैं आपको रास्ता बता सकता हूं कि रावण सीता माता को किस ओर ले गया है, पर मैं आकाश मार्ग से जाऊंगा और आप पैदल। लेकिन आप रास्ता भटक सकते हैं इसलिए मैं अपना एक एक पंख गिराता हुआ जाऊंगा जिससे आप रास्ता ना भटके और इस तरह मोर ने श्री राम को रास्ता बताया परंतु अंत में वह मरणासन्न हो गया क्योंकि मोर के पंख एक विशिष्ट मौसम में अपने आप ही गिरते हैं ,अगर इस तरह जानबूझ के पंख गिरे तो उसकी मृत्यु हो जाती है। श्रीराम ने उस मोर को कहा कि वे इस जन्म में उसके इस उपकार का मूल्य तो नहीं चुका सकते परंतु अपने अगले जन्म में उसके सम्मान में पंख को अपने मुकुट में धारण करेंगे और इस तरह श्रीकृष्ण के रूप में विष्णु ने जन्म लिया और अपने मुकुट में मोर पंख को धारण किया।

श्रीकृष्ण को था कालसर्प योग
ज्योतिष मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की कुंडली में कालसर्प योग था। मोर और सांप की दुश्मनी है। यही वजह है कि कालसर्प योग में मोर पंख को साथ रखने की सलाह दी जाती है। कालसर्प दोष का प्रभाव करने के लिए भी भगवान कृष्ण मोरपंख को सदा साथ रखते थे।

ब्रह्मचर्य का प्रतीक है मोर
श्रीकृष्ण के मोर पंख धारण करने के पीछे एक प्रचलित कहानी है कि मोर ही सिर्फ ऐसा पक्षी है, जो जीवन भर ब्रह्मचर्य रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मादा मोर नर मोर के आंसू पीकर गर्भ धारण करती है। इस प्रकार श्री कृष्ण ऐसे पवित्र पक्षी के पंख को अपने माथे पर सजाते हैं।