भोपाल। कोर्ट की अवमानना की याचिका को लेकर मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस ने सरकारी अधिवक्ता को जमकर फटकार लगाई और कहा कि तुम वकील बनने योग्य नहीं हो इस्तीफा दे दो।  रखरखाव और प्रबंधन के अभाव में दतिया की सेंवढ़ा तहसील के रामजानकी मंदिर की दुर्दशा को लेकर अधिवक्ता प्रतीप बिसोरिया द्वारा लगाई गई कोर्ट की अवमानना की याचिका में बुधवार को हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई । सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता से पूछा कि इस मामले में आर्डर पारित होना था इसका क्या हुआ ? जिस पर शासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में आर्डर जारी कर दिया गया है और उसका पालन भी हो गया है। मौके पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं मिला है। चीफ जस्टिस ने पूछा कि मंदिर के प्रबंधन के बारे में क्या जानकारी पेश की है ? इस पर शासकीय अधिवक्ता कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके । चीफ जस्टिस ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि ‘कोर्ट का आदेश था कि मंदिर के प्रबंधन के बारे में टीम बनाकर पूरी जांच हो और इसकी विस्तृत जानकारी पेश की जाए, लेकिन जो रिपोर्ट पेश हुई है उसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है।’ शासकीय अधिवक्ता पर नाराजगी जताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि ‘तुम सरकारी वकील बनने लायक नहीं हो, इस्तीफा दे दो ।तुम से शासन की सभी फाइलें ले ली जाएं इस बात की अनुशंसा मैं खुद करूंगा।’ दरअसल , दतिया जिले की सेंवढ़ा तहसील के गांव देवई में एक रामजानकी मंदिर है। जिसके नाम पर वहां की 50 बीघा जमीन है। जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि उस मंदिर में किसी भी प्रकार की सेवा पूजा नहीं होती है। वहां का जो पुजारी है वह उस भूमि का उपयोग अपनी निजी काम और लाभ के लिए कर रहा है। उसकी जांच करवाई जाए। कोर्ट ने जनहित याचिका में सुनवाई के बाद आदेश दिया कि मंदिर के प्रबंधन सहित सभी रिकार्ड और वहां हो रहे अतिक्रमण की जांच कर रिपोर्ट पेश करें। कोई के इस आदेश का पालन नहीं किया, जिस पर सरकारी अधिवक्ता को जमकर फटकार लगाई गई।